Mahindra & Mahindra ने उन दावों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा गया था कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान उत्सर्जन मानकों का पालन न करने पर कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा। स्टॉक एक्सचेंज को दिए गए बयान में ऑटो निर्माता ने स्पष्ट किया कि उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया है और उसे किसी महत्वपूर्ण वित्तीय देनदारी की उम्मीद भी नहीं है।
कंपनी का यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि Mahindra, Hyundai, Kia और Honda समेत आठ कार निर्माता कंपनियों ने अपने वाहनों के बेड़े के उत्सर्जन सीमा का उल्लंघन किया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन कंपनियों पर कुल ₹7,300 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
Mahindra ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा, “कंपनी पर जुर्माना लगाए जाने का कोई भी संदर्भ तथ्यात्मक रूप से गलत है।”
CAFE मानकों को लेकर विवाद
यह विवाद कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी (CAFE) मानकों के पालन से जुड़ा है, जो वाहन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं। Mahindra के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023 के लिए आकलन अवधि 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक थी।
कंपनी ने क्या कहा?
कंपनी ने बताया कि ऊर्जा संरक्षण अधिनियम (Energy Conservation Act) में दिसंबर 2022 में संशोधन किया गया था, जिसमें CAFE मानकों का पालन न करने पर जुर्माने का प्रावधान जोड़ा गया। हालांकि, यह संशोधन 1 जनवरी 2023 से लागू हुआ। Mahindra का तर्क है कि इन जुर्मानों को पूरे वित्तीय वर्ष पर लागू करना अनुचित होगा।
कंपनी ने स्पष्ट किया, “EC Act के संशोधित जुर्माने को पूरे FY2023 के लिए लागू करना प्रतिगामी होगा, जो कि गलत है। इसलिए, कंपनी को FY2023 के लिए किसी भी महत्वपूर्ण देनदारी की उम्मीद नहीं है।”
CAFE मानक और उनके उद्देश्य
2017 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत लागू किए गए CAFE मानकों का उद्देश्य कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करना और तेल पर निर्भरता को घटाना है। ये मानक वित्तीय वर्ष में बेचे गए वाहनों के वजन के आधार पर औसत CO2 उत्सर्जन की सीमा तय करते हैं।
CAFE मानकों का दूसरा चरण FY2023 में लागू हुआ, जिसमें अनुमेय उत्सर्जन सीमा को 130 ग्राम प्रति किलोमीटर से घटाकर 113 ग्राम प्रति किलोमीटर कर दिया गया। इन मानकों का पालन न करने पर भारी जुर्माना लग सकता है, जिससे निर्माताओं पर ईंधन दक्षता वाली तकनीकों को अपनाने का दबाव बढ़ता है।
ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) इन मानकों के पालन की निगरानी करता है।
फिलहाल, Mahindra का यह बयान किसी भी तत्काल वित्तीय प्रभाव की अटकलों को शांत करने की कोशिश करता है, जो उत्सर्जन मानक आकलनों से जुड़ी हो सकती हैं।