मुंबई पुलिस ने रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के ग्रुप सीएफओ और कार्यकारी चेयरपर्सन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत के आधार पर की गई है, जिसमें कंपनी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों पर बर्मन बंधुओं के खिलाफ झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया गया था। सोमवार को कंपनी ने इस बारे में स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया।
यह एफआईआर माटुंगा पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है, जिसमें कार्यकारी चेयरपर्सन डॉ. रश्मि सलूजा, ग्रुप सीएफओ नितिन अग्रवाल और ग्रुप जनरल काउंसल निशांत सिंघल को नामजद किया गया है।
रिलिगेयर एंटरप्राइजेज के अनुसार, यह एफआईआर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 और 120बी के तहत दर्ज की गई है। IPC की धारा 420 धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति प्राप्त करने से संबंधित है, जबकि धारा 120बी आपराधिक साजिश से संबंधित है।
पिछले महीने, ईडी ने रिलिगेयर एंटरप्राइजेज (REL) के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़े कई स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसमें चेयरपर्सन रश्मि सलूजा भी शामिल थीं। ईडी ने इन अधिकारियों के डीमैट और बैंक खातों सहित कई दस्तावेज जब्त किए थे।
ईडी की जांच की जड़ एक एफआईआर थी, जिसे वैभव गावली नामक एक व्यक्ति ने मुंबई के एक पेट कैफे में सहायक के तौर पर काम करते हुए दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया था कि रिलिगेयर फिनवेस्ट से धन की हेराफेरी की गई थी। शिकायत में पूर्व REL प्रमोटर शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह, और बर्मन परिवार के कुछ सदस्यों का भी नाम था, जिन्होंने REL में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक ओपन ऑफर दिया था।
आखिर, इतने बड़े पदों पर बैठे लोग कब तक ‘धोखाधड़ी’ और ‘आपराधिक साजिश’ के आरोपों से अपना पल्ला झाड़ते रहेंगे? क्या देश के कॉर्पोरेट जगत में बैठे उच्च अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए सिर्फ दूसरों पर दोषारोपण करने में लगे रहेंगे? ED की जांच के बाद अब पुलिस भी हरकत में आई है, लेकिन सवाल ये है कि ये खेल आखिर कहां जाकर रुकेगा?