दिल्ली स्थित पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड ब्रिहन मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (BEST) को 250 इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति करेगा। यह बसें देश की आर्थिक राजधानी में बस सेवाएं संचालित करने वाली BEST को अलग-अलग चरणों में वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही तक उपलब्ध कराई जाएंगी। कंपनी ने यह जानकारी अपने एक प्रेस विज्ञप्ति में दी।
कंपनी के अनुसार, ये वातानुकूलित बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (GCC) मॉडल के तहत संचालित की जाएंगी। इस मॉडल में बसों का स्वामित्व निर्माता के पास होता है, जबकि संचालन का खर्च BEST जैसे परिवहन उपक्रम उठाते हैं।
टिकट बिक्री से आएगा राजस्व
GCC मॉडल के तहत, BEST टिकट बिक्री से राजस्व अर्जित करेगा और बसों में कंडक्टर प्रदान करेगा। इस मॉडल में परिवहन उपक्रम जैसे BEST, निर्माता को प्रति किलोमीटर के आधार पर मासिक शुल्क अदा करते हैं। यह शुल्क प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से पहले से तय किया जाता है।
नागपुर के बाद मुंबई दूसरा बड़ा केंद्र
पीएमआई इलेक्ट्रो की 144 इलेक्ट्रिक बसें पहले से ही नागपुर में परिचालन में हैं। अब मुंबई महाराष्ट्र में कंपनी के लिए दूसरा बड़ा संचालन केंद्र बनेगा। देशभर में कंपनी अब तक 1,700 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें बेच चुकी है।
सरकार की ईवी योजनाओं का योगदान
यह समझौता केंद्र सरकार की प्रमुख ईवी सब्सिडी योजना पीएम ई-ड्राइव के कार्यान्वयन के बाद हुआ है। इस योजना में FY26 तक सार्वजनिक परिवहन के लिए ₹10,900 करोड़ के बजट का लगभग 40% आवंटित किया गया है।
पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत, राज्य परिवहन उपक्रमों (STUs) या सार्वजनिक परिवहन एजेंसियों द्वारा 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए ₹4,391 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह संकेत मिलता है कि परिवहन उपक्रम प्रति बस ₹30 लाख से अधिक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
ई-बस निर्माताओं के लिए भुगतान सुरक्षा तंत्र (PSM)
केंद्र सरकार ने हाल ही में ई-बस निर्माताओं के लिए भुगतान सुरक्षा तंत्र (PSM) लॉन्च किया है। इस तंत्र का उद्देश्य राज्य या नगरपालिका परिवहन उपक्रमों द्वारा बकाया भुगतान को समय पर सुनिश्चित करना है।
28 अक्टूबर को अधिसूचित पीएम ई-बस सेवा-PSM के तहत ₹3,435.33 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो देश में 38,000 से अधिक ई-बसों की तैनाती को समर्थन प्रदान करेगा। भारी उद्योग मंत्रालय के अनुसार, सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण में इन योजनाओं के कारण तेजी आई है।
पीएमआई इलेक्ट्रो पर लगे नियामक आरोप
हालांकि, पिछले वर्ष पीएमआई इलेक्ट्रो को कुछ नियामक समस्याओं का सामना करना पड़ा। फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक (हाइब्रिड) व्हीकल्स योजना के तहत कंपनी ने लगभग ₹500 करोड़ की सब्सिडी प्राप्त की, लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय ने चीनी घटकों के आयात के कारण स्थानीयकरण नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया।