भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सचिन बंसल के नेतृत्व वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) नवी फिनसर्व लिमिटेड पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा लिया है। यह फैसला सोमवार, 2 दिसंबर को लिया गया। आरबीआई की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह प्रतिबंध तुरंत प्रभाव से हटाए गए हैं।
आरबीआई ने अपनी प्रेस रिलीज़ में कहा, “नवी फिनसर्व लिमिटेड पर लगाए गए प्रतिबंधों को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्णय लिया गया है।”
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी द्वारा किए गए कई सुधारात्मक कदमों के बाद यह निर्णय लिया गया है। बैंकिंग नियामक ने कहा कि नवी फिनसर्व ने अपनी प्रक्रियाओं और सिस्टम में आवश्यक बदलाव किए हैं और नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है, विशेष रूप से ऋण मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता के मामले में।
सचिन बंसल का बयान:
नवी फिनसर्व के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सचिन बंसल ने आरबीआई के इस फैसले पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हम इस पूरे प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए मार्गदर्शन और समर्थन के लिए आभारी हैं। हम अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करते हुए, ऋण मूल्य निर्धारण में निष्पक्षता और संचालन में उत्कृष्टता बनाए रखने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
क्यों लगाया गया था प्रतिबंध?
17 अक्टूबर, 2024 को आरबीआई ने नवी फिनसर्व और तीन अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की जांच की थी। इस दौरान ऋण मूल्य निर्धारण से संबंधित गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। इसके बाद 21 अक्टूबर को आरबीआई ने नवी फिनसर्व, डीएमआई फाइनेंस, असीरवद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड और अरोहन फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड पर नए ऋण मंजूर करने और वितरण पर रोक लगा दी थी।
आरबीआई के अनुसार, इन कंपनियों द्वारा अपने वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट (WALR) और लागत पर लगाए गए ब्याज दरों में भारी असमानता पाई गई थी। यह कदम नियामकीय उल्लंघनों के चलते उठाया गया था।
नवी फिनसर्व एक मिडल लेयर श्रेणी की NBFC है और भारतीय रिजर्व बैंक में पंजीकृत है। इससे पहले, आरबीआई ने यह भी कहा था कि इन कंपनियों ने न केवल मूल्य निर्धारण नीति का उल्लंघन किया, बल्कि आय आकलन और माइक्रोफाइनेंस उधारकर्ताओं की ऋण चुकाने की क्षमता का भी सही से आकलन नहीं किया था।