सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आकाश एजुकेशनल सर्विसेज, जो संकटग्रस्त एडटेक कंपनी बायजूस की सहायक कंपनी है, को अपने असाधारण आम बैठक (EGM) में पारित आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA) में संशोधन प्रस्ताव लागू करने से रोक दिया।
इस संशोधन के जरिए कथित तौर पर अल्पसंख्यक शेयरधारकों, जिसमें ब्लैकस्टोन की मालिकाना हक वाली Singapore VII Topco I Pte Ltd शामिल है, के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही थी। ब्लैकस्टोन के पास आकाश में 6.97% हिस्सेदारी है और उसने अपने अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने आकाश को निर्देश दिया कि वह सात दिनों के भीतर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) का रुख करे। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि NCLAT में मामले की सुनवाई तक EGM के प्रस्तावित संशोधनों को लागू करने पर रोक जारी रहेगी।
कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर रोक
यह आदेश ब्लैकस्टोन की उस याचिका पर आया है, जिसमें उसने 25 नवंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने आकाश को अल्पसंख्यक शेयरधारकों के विरोध के बावजूद संशोधन जारी रखने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट का आदेश NCLAT के निर्णय में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। आकाश ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले से संबंधित कोई याचिका दाखिल नहीं करेगा।
मामला क्या है?
विवाद आकाश के AoA में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर है, जिसे पहली बार EGM के दौरान उठाया गया था। अल्पसंख्यक शेयरधारकों, जिनमें ब्लैकस्टोन भी शामिल है, ने NCLT में प्रबंधन और दमन के खिलाफ याचिका दायर की थी। उनका आरोप है कि ये संशोधन उनके पूर्व के मर्जर फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (MFA) के तहत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
निवेशकों का दावा है कि ये बदलाव आकाश में उनकी हिस्सेदारी को कमजोर करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही बायजूस अपनी वैल्यूएशन और संचालन स्थिरता के लिए आकाश पर निर्भर है। इसके अलावा, बायजूस के संस्थापक बायजू रविंद्रन को आकाश के बोर्ड में थिंक एंड लर्न (बायजूस की मूल कंपनी) का प्रतिनिधित्व देने पर भी सवाल उठाए गए।
आकाश ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि शेयरधारकों को उनकी हिस्सेदारी MFA के तहत मिली थी, जो योजना के अनुसार लागू नहीं हो पाई। इसके चलते निवेशकों के पास कंपनी में कोई ठोस अधिकार नहीं है। आकाश ने यह भी बताया कि थिंक एंड लर्न ने इस विवाद पर सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) में मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की है।
कानूनी दांव-पेच
20 नवंबर को, NCLT ने आकाश को प्रस्तावित संशोधनों को लागू करने से रोक दिया था, क्योंकि इससे अल्पसंख्यक शेयरधारकों के अधिकारों पर असर पड़ सकता था। हालांकि, आकाश ने इस आदेश को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसने NCLT के आदेश पर रोक लगाते हुए संशोधन को जारी रखने की अनुमति दी। इसके बाद अल्पसंख्यक शेयरधारकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
बायजूस की चुनौतियां और आकाश की स्थिति
बायजूस आर्थिक संकट का सामना कर रही है और दिवालियापन की स्थिति में है, लेकिन आकाश ने अपनी व्यापक फिजिकल नेटवर्क के चलते लाभकारी स्थिति बनाए रखी है।
शेयरों का मामला
अप्रैल 2021 में बायजूस ने आकाश को 1 बिलियन डॉलर में अधिग्रहित किया था। इस सौदे में 70% नकद और 30% इक्विटी का प्रावधान था। आकाश के प्रमोटर्स चौधरी परिवार और ब्लैकस्टोन को थिंक एंड लर्न के शेयर मिलने थे। हालांकि, चौधरी परिवार ने शासन से जुड़ी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने शेयरों के अदला-बदली से इनकार कर दिया, जिसके चलते बायजूस ने उन्हें कानूनी नोटिस भेजा।
2023 में, मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप के चेयरमैन रंजन पाई ने 300 मिलियन डॉलर के निवेश को इक्विटी में बदलते हुए आकाश में सबसे बड़ा शेयरधारक बनने का दावा किया। पाई ने 2022 से 2023 के बीच कुल 500 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिसका उद्देश्य बायजूस का कर्ज चुकाना और संचालन के लिए धन जुटाना था। पाई के पास आकाश में 39% हिस्सेदारी है, जबकि थिंक एंड लर्न के पास 26%, बायजू रविंद्रन के पास 17%, चौधरी परिवार के पास 10%, और ब्लैकस्टोन के पास 8% हिस्सेदारी है।
मार्च 2024 में, थिंक एंड लर्न और आकाश ने NCLT से अपने मर्जर की याचिका वापस ले ली थी।