देश के कई प्रमुख शहरों में पिछले कुछ दिनों से प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है, जिससे आम आदमी की रसोई में खलबली मच गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, थोक बाजार में प्याज की कीमतें ₹40-60 प्रति किलो से बढ़कर ₹70-80 प्रति किलो हो गई हैं। कुछ शहरों में प्याज की कीमतें लगभग ₹40 प्रति किलो तक बढ़ गई हैं, जिससे आम नागरिक को भारी आर्थिक बोझ सहना पड़ रहा है।
दिल्ली और मुंबई में आसमान छूती प्याज की कीमतें दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में प्याज की कीमतें अपने 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। बढ़ती कीमतों का असर घरों पर पड़ रहा है, और ग्राहकों की क्रय आदतों पर इसका सीधा प्रभाव दिख रहा है, जिससे थोक बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है। प्याज की कीमतों में इस अप्रत्याशित वृद्धि ने ग्राहकों को आंखों में आंसू ला दिए हैं, जबकि विक्रेताओं के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण हो गया है क्योंकि ग्राहकों की संख्या में कमी आई है।
दिल्ली के एक बाजार में विक्रेता ने कहा, “प्याज का दाम ₹60 से बढ़कर ₹70 प्रति किलो हो गया है। हम इसे मंडी से खरीदते हैं, इसलिए वहां से मिलने वाली कीमतों का सीधा असर हम पर पड़ता है।”
उन्होंने आगे कहा, “कीमतों में बढ़ोतरी के चलते बिक्री में गिरावट हुई है, लेकिन लोग फिर भी इसे खरीद रहे हैं क्योंकि यह यहां के भोजन का एक अहम हिस्सा है।”
एक ग्राहक, फैजा ने इस वृद्धि पर नाराजगी जताते हुए कहा, “मौसम के अनुसार प्याज के दामों में कमी आनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय कीमतें बढ़ी हैं। मैंने ₹70 प्रति किलो प्याज खरीदा है, जिससे घर की खाने-पीने की आदतों पर असर पड़ा है। मैं सरकार से अपील करती हूं कि कम से कम रोजाना उपयोग की जाने वाली सब्जियों की कीमतों को नियंत्रित करें।”
8 नवंबर तक दिल्ली के अधिकतर इलाकों में प्याज की कीमत ₹80 प्रति किलो तक पहुंच गई है। देश के कई अन्य राज्यों में भी प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं, खासकर मुंबई के बाजारों में।
मुंबई के एक ग्राहक, डॉ. खान ने बताया, “प्याज और लहसुन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। मैंने 5 किलो प्याज ₹360 में खरीदा, जिससे घर का बजट प्रभावित हो रहा है।”
एक अन्य ग्राहक ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही ये कीमतें कम होंगी। उन्होंने कहा, “प्याज के दाम ₹40-60 प्रति किलो से बढ़कर ₹70-80 प्रति किलो हो गए हैं। लेकिन जैसे सेंसेक्स ऊपर-नीचे होता है, वैसे ही प्याज की कीमतें भी गिरेंगी।”
जब रसोई की नींव माने जाने वाले प्याज पर ऐसी मंहगाई की मार हो, तो आम आदमी किसके सहारे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करेगा? क्या अब ‘अच्छे दिन’ का अर्थ ये महंगी प्याज और कमजोर जेबें बन गए हैं?