टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने 135.32 करोड़ रुपये वार्षिक वेतन के रूप में प्राप्त किए, जिससे वह कॉरपोरेट भारत के सबसे अधिक वेतन पाने वाले कार्यकारी बन गए। उनके वेतन पैकेज में वित्तीय वर्ष 2023 में 113 करोड़ रुपये से 20 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हुई है।
चंद्रशेखरन की सैलरी में 13.26 करोड़ रुपये का ग्रॉस वेतन और 121.50 करोड़ रुपये का कमीशन शामिल है, जो कंपनी की वार्षिक आम बैठक के बाद भुगतान किया जाएगा। क्या यह रकम वाकई में इतनी जरूरी है, या यह सिर्फ उच्चाधिकारियों के लिए एक और बेतुका बोनस है?
टाटा संस के कार्यकारी निदेशक सौरभ अग्रवाल ने 30.35 करोड़ रुपये वार्षिक वेतन के रूप में प्राप्त किए, जिसमें 6.07 करोड़ रुपये का ग्रॉस वेतन, 24 करोड़ रुपये का कमीशन और 28 लाख रुपये का प्रोविडेंट फंड व सुपरऐनुएशन लाभ शामिल है। क्या इससे यह साबित नहीं होता कि कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी अपने वेतन को लेकर कितने अतिवादी हो सकते हैं?
कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी एरूच एन कपाड़िया ने 3.08 करोड़ रुपये के वार्षिक वेतन पैकेज का लाभ उठाया, जिसमें 1.72 करोड़ रुपये का ग्रॉस वेतन और 1.36 करोड़ रुपये का प्रोविडेंट फंड और सुपरऐनुएशन लाभ शामिल है।
टाटा संस का शुद्ध लाभ वित्तीय वर्ष 2024 में 54 प्रतिशत बढ़कर 34,654 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 22,132 करोड़ रुपये था।
कंपनी की संचालन से प्राप्त राजस्व 25 प्रतिशत बढ़कर 43,893 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष 35,058 करोड़ रुपये था।