बेंगलुरु स्थित सेमीकंडक्टर डिजाइन कंपनी टेस्सॉल्व ने, जो हीरो इलेक्ट्रॉनिक्स के स्वामित्व में है, जर्मनी की ड्रीम चिप टेक्नोलॉजीज का अधिग्रहण 400 करोड़ रुपये में कर लिया है। इस सौदे से टेस्सॉल्व अधिक जटिल प्रोसेसर डिजाइन करने में सक्षम होगी और उसे बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी।
यह सौदा न केवल टेस्सॉल्व की डिज़ाइन क्षमताओं को सशक्त बनाता है, बल्कि यूरोपीय बाजारों तक इसकी पहुँच को भी विस्तारित करता है। टेस्सॉल्व के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनिवास चिनामिली ने कहा, “हम यूरोप में लगभग 30 से अधिक कर्मचारियों के साथ काम कर रहे थे, और इस अधिग्रहण से अब हमारी उपस्थिति और भी मज़बूत होगी।”
ड्रीम चिप, चिप डिजाइन या सिस्टम-ऑन-चिप डिजाइन का कार्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ऑटोमोटिव, डेटा सेंटर और औद्योगिक बाजारों के लिए करता है। ड्रीम चिप टेक्नोलॉजीज के सीईओ जेन्स बेंडॉर्फ ने कहा, “फिलहाल जर्मनी में सबसे गर्म विषय स्वायत्त ड्राइविंग है, जहाँ हम ऑटोमोटिव उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में तेजी से नवाचार में सहायता कर सकते हैं।”
ड्रीम चिप अलग ब्रांड के रूप में काम करती रहेगी
यह अधिग्रहण एक नकद सौदा है और ड्रीम चिप टेस्सॉल्व की इकाई के रूप में अलग ब्रांड के तौर पर कार्यरत रहेगी। टेस्सॉल्व द्वारा प्रदत्त वैश्विक पहुँच और इंजीनियरिंग क्षमताएँ जर्मनी की इस कंपनी को बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को लेने और बेहतर बिक्री अवसर हासिल करने में मदद करेंगी।
टेस्सॉल्व की यूरोपीय संचालन क्षमता भी इस अधिग्रहण से बढ़ेगी, जिसमें जर्मनी और नीदरलैंड में चार नयी डिलीवरी लोकेशन शामिल होंगी। पिछले 10 वर्षों में टेस्सॉल्व का यह छठा अधिग्रहण है, जिसमें कंपनी ने राजस्व वृद्धि से अधिक कौशल और क्षमता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
टेस्सॉल्व के चेयरमैन उज्जवल मुनजल ने कहा, “ड्रीम चिप टेक्नोलॉजीज के साथ आई इस नई ऊर्जा से, मुझे पूरा विश्वास है कि टेस्सॉल्व इस क्षेत्र में विश्व नेता बनने की राह पर अग्रसर है। बड़ी कंपनियों का कस्टम चिप डिज़ाइन की ओर बढ़ता रुझान टेस्सॉल्व को इस बाजार में एक मजबूत स्थिति प्रदान करता है।”
हीरो ग्रुप के स्वामित्व वाली यह कंपनी, जो 10 देशों में सेमीकंडक्टर चिप्स का डिज़ाइन, परीक्षण और उत्पादन करती है, अपने कार्यों का विस्तार वैश्विक स्तर पर कर रही है। हाल ही में इसने अमेरिका, सिंगापुर और भारत में प्रयोगशालाएँ खोली हैं और भारत के टियर- II शहरों में नए केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है।
टेस्सॉल्व के समाधान सेमीकंडक्टर निर्माण और पैकेजिंग कंपनियों को अपने उत्पादों को बाज़ार में लाने में तेजी लाने में मदद करते हैं, क्योंकि ये कंपनियाँ अपने डिजाइन, इंजीनियरिंग और परीक्षण में निवेश किए बिना इन क्षेत्रों में आसानी से चिप्स का उपयोग कर सकती हैं। टेस्सॉल्व की चिप्स का उपयोग ऑटोमोटिव, पावर मैनेजमेंट, एआई एप्लिकेशन, इलेक्ट्रिक वाहनों और डेटा सेंटर्स में भी होता है।
FY24 में टेस्सॉल्व ने 1,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया और FY25 में 20% की वृद्धि की उम्मीद जताई है। भारत में कई कंपनियाँ टेस्टिंग और पैकेजिंग यूनिट स्थापित कर रही हैं, वहीं टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा भारत की पहली फैब्रिकेशन यूनिट की स्थापना भी हो रही है।