वर्धमान ग्रुप के अध्यक्ष एस.पी. ओसवाल को सायबर ठगों ने सीबीआई अधिकारी बनकर ₹7 करोड़ की ठगी कर ली। ओसवाल ने बताया कि ठगों ने उन्हें ‘डिजिटल हिरासत’ में रखा और उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संदिग्ध बताते हुए दो दिनों तक ‘डिजिटल निगरानी’ में रखा। उन्होंने कहा कि ये ठग मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के रूप में प्रस्तुत हुए और एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई भी की। इसके साथ ही, उन्होंने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के खिलाफ चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले का हवाला दिया।
लुधियाना पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों को असम से गिरफ्तार किया है और अन्य सात संदिग्धों की पहचान की है, जो पश्चिम बंगाल और दिल्ली में फैले हुए हैं।
SP ओसवाल के साथ क्या हुआ?
एस.पी. ओसवाल के साथ यह धोखाधड़ी 27 अगस्त से शुरू हुई, जब उन्होंने ठगों के खातों में ₹7 करोड़ ट्रांसफर किए। उन्होंने बताया कि 27 अगस्त को उन्हें भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की ओर से फोन आया, जिसमें कहा गया कि उनकी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी यदि उन्होंने फोन पर 9 नहीं दबाया।
इसके बाद, उन्हें एक विजय खन्ना नामक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। उसने उन्हें जानकारी दी कि उनका नाम नरेश गोयल के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संदिग्ध के रूप में शामिल किया गया है। उसके बाद, ठगों ने मुंबई पुलिस के प्रतीक चिह्न वाले कुछ दस्तावेज़ भी भेजे।
डिजिटल हिरासत और फर्जी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई
ठगों ने उसी दिन ओसवाल को ‘डिजिटल हिरासत’ में ले लिया और उनका डिजिटल सर्विलांस शुरू कर दिया। ओसवाल ने बताया कि उन्हें स्काइप के ज़रिए सर्विलांस में रखा गया और घर से बाहर निकलने की इजाज़त भी नहीं दी गई। उन्होंने कहा, “मैंने पहले कभी स्काइप का उपयोग नहीं किया था, ठगों ने खुद मेरा खाता बनाया और फिर सर्विलांस शुरू किया।”
अगले दिन, 28 अगस्त को ठगों ने उन्हें सूचित किया कि उनका मामला अब सुप्रीम कोर्ट में जा रहा है। “उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के सामने सुनवाई होगी। स्काइप कॉल पर एक व्यक्ति चीफ जस्टिस बनकर आया और मामले की सुनवाई की। उसने आदेश भी सुनाया, जिसे मैंने असली समझ लिया।”
कैसे हुआ खुलासा?
29 अगस्त को ओसवाल की तबियत बिगड़ गई और जब उन्होंने अस्पताल जाने की अनुमति मांगी, तब उन्होंने यह घटना अपने वरिष्ठ सहयोगी विकास कुमार से साझा की, जिसने इसे ठगी के रूप में पहचाना। ओसवाल ने बताया, “वे मुझसे ₹2 करोड़ और मांग रहे थे, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है। मेरे सहयोगी विकास कुमार ने इस पूरे मामले को धोखाधड़ी बताया और फिर मैंने ठगों से सामना किया। ठगों ने मुझे तुरंत गिरफ्तार करने की धमकी दी और ईडी मुंबई की ओर से एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट भी भेजा। मैंने उन्हें कहा कि मैं पुलिस हिरासत में मरना पसंद करूंगा, लेकिन और पैसे नहीं भेजूंगा।”