प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने सभी सरकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल की सार्वभौमिक आपूर्ति को दिसंबर 2028 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) सहित सभी सरकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति जारी रहेगी। यह निर्णय जुलाई 2024 से प्रभावी रहेगा।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह पहल एक केंद्रीय क्षेत्रीय योजना के रूप में पूरी तरह केंद्र द्वारा वित्तपोषित होगी। इसके तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (खाद्य सब्सिडी) के हिस्से के रूप में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की जाएगी, और इसके क्रियान्वयन के लिए एकीकृत संस्थागत तंत्र प्रदान किया जाएगा।
यह योजना “लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), अन्य कल्याणकारी योजनाएं, समेकित बाल विकास सेवा (ICDS), पीएम पोषण (पूर्ववर्ती मिड-डे मील) के तहत देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति” के तहत शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य देश में एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है, जो प्रधानमंत्री मोदी के पोषण सुरक्षा पर बल देने के अनुरूप है।
कैबिनेट आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने अप्रैल 2022 में देश भर में चरणबद्ध तरीके से चावल के फोर्टिफिकेशन की पहल को मार्च 2024 तक लागू करने का फैसला किया था। इस योजना के तीनों चरण सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं, और मार्च 2024 तक सभी सरकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) 2019-2021 के अनुसार, एनीमिया अभी भी भारत में एक व्यापक समस्या बनी हुई है, जो विभिन्न आयु समूहों और आय स्तरों के बच्चों, महिलाओं और पुरुषों को प्रभावित करती है। लौह तत्व की कमी के साथ-साथ विटामिन बी12 और फोलिक एसिड जैसी अन्य विटामिन और खनिजों की कमी भी बनी हुई है, जो देश की जनसंख्या के समग्र स्वास्थ्य और उत्पादकता को प्रभावित करती है।
वैश्विक स्तर पर खाद्य फोर्टिफिकेशन को एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय के रूप में अपनाया गया है। भारत की संदर्भ में, चावल एक आदर्श माध्यम है क्योंकि 65% भारतीय जनसंख्या इसे मुख्य आहार के रूप में उपभोग करती है।
चावल का फोर्टिफिकेशन फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स (FRK) में सूक्ष्म पोषक तत्वों (लौह तत्व, फोलिक एसिड, विटामिन बी12) को मिलाकर किया जाता है, जैसा कि FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाता है। वैष्णव ने बताया कि इस पहल से 80 करोड़ नागरिकों को लाभ होगा और इसका उद्देश्य एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है।
इस योजना पर कुल 17,082 करोड़ रुपये का वित्तीय व्यय जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक होगा। फोर्टिफाइड राइस कर्नेल्स के परीक्षण के लिए 27 NABL लैब्स और विटामिन-खनिज प्री-मिक्स के परीक्षण के लिए 11 NABL लैब्स का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, आपूर्ति श्रृंखला के विकास के लिए 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।