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Wednesday, December 4, 2024
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CTC और इन-हैंड सैलरी के बीच अंतर: 6 मिथकों को जानें

भारत में कई कर्मचारी अक्सर CTC (कंपनी को खर्च) और इन-हैंड सैलरी के बीच अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं, जिसके कारण वे यह समझ नहीं पाते कि वे कितना घर ले जाते हैं और उनके नियोक्ता कितना खर्च कर रहे हैं। इन दोनों के बीच का अंतर समझना वित्तीय योजना बनाने और मासिक खर्चों के समय किसी भी आश्चर्य से बचने के लिए बहुत जरूरी है।

CTC और इन-हैंड सैलरी
जहां CTC वह कुल राशि है जो नियोक्ता कर्मचारी पर सालाना खर्च करता है, वहीं इन-हैंड सैलरी वह राशि है जो कर्मचारी को कटौती के बाद मिलती है। यही कारण है कि कई बार यह भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं, क्योंकि कर्मचारी मानते हैं कि उनका CTC सीधे उनके हाथ में आने वाली सैलरी के बराबर होता है।

यहां कुछ सामान्य मिथकों को सही करने के लिए एक मार्गदर्शिका दी गई है।

मिथक 1: CTC = इन-हैंड सैलरी
वास्तविकता: CTC आपकी इन-हैंड सैलरी के बराबर नहीं है।
CTC में वह कुल खर्च शामिल है जो कंपनी कर्मचारी पर साल भर करती है, जबकि इन-हैंड सैलरी वह राशि है जो आपको कटौती के बाद प्राप्त होती है।
CTC में बेसिक सैलरी, भत्ते (HRA, LTA), बीमा, EPF में नियोक्ता योगदान और प्रदर्शन बोनस जैसी चीजें शामिल होती हैं।
इन-हैंड सैलरी वह राशि है जो EPF, आयकर, प्रोफेशनल टैक्स और अन्य लाभों जैसी कटौतियों के बाद बचती है।

मिथक 2: उच्च CTC का मतलब उच्च इन-हैंड सैलरी है
वास्तविकता: जरूरी नहीं।
एक उच्च CTC का मतलब यह नहीं कि आपको उच्च इन-हैंड सैलरी मिलेगी।
परिवर्तनीय घटक: CTC का एक महत्वपूर्ण हिस्सा परिवर्तनीय वेतन के रूप में हो सकता है, जैसे बोनस, जो हमेशा नहीं दिया जाता।
भत्ते: कुछ भत्ते, जैसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या यात्रा रिइम्बर्समेंट, यदि कर योग्य नहीं हैं या विशेष खर्चों से जुड़े हैं, तो आपके इन-हैंड सैलरी में शामिल नहीं हो सकते।

मिथक 3: पूरा CTC कर्मचारी को दिया जाता है
वास्तविकता: CTC कर्मचारी पर होने वाले कुल खर्च को दर्शाता है, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा सीधे भुगतान नहीं किया जाता।
नियोक्ता का योगदान: EPF, ग्रेच्युटी और बीमा में नियोक्ता का योगदान CTC का हिस्सा होता है, लेकिन यह आपकी इन-हैंड सैलरी का हिस्सा नहीं होता।
बोनस और स्टॉक ऑप्शन: CTC के कुछ हिस्से, जैसे बोनस या स्टॉक ऑप्शन, प्रदर्शन के आधार पर या समय के साथ भुगतान होते हैं और हमेशा मासिक भुगतान में शामिल नहीं होते।

मिथक 4: कटौतियां केवल टैक्स होती हैं
वास्तविकता: टैक्स के अलावा भी कई अन्य कटौतियां होती हैं।
Provident Fund (PF): कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ही PF में योगदान करते हैं, जिससे आपकी इन-हैंड सैलरी कम होती है।
प्रोफेशनल टैक्स: कुछ राज्यों में प्रोफेशनल टैक्स लिया जाता है, जो आपकी सैलरी से कटता है।
बीमा: स्वास्थ्य और जीवन बीमा की प्रीमियम भी कट सकती है।
अन्य कटौतियां: ऋण या अग्रिम, योजनाओं में स्वैच्छिक योगदान आदि भी आपकी सैलरी को कम कर सकते हैं।

मिथक 5: इन-हैंड सैलरी हमेशा CTC से कम होती है
वास्तविकता: कुछ मामलों में आपकी इन-हैंड सैलरी, CTC से ज्यादा हो सकती है।
सैलरी संरचना: यदि कंपनी CTC को चतुराई से संरचित करती है (उदाहरण के लिए, CTC के एक महत्वपूर्ण हिस्से को टैक्स-मुक्त लाभ जैसे मील वाउचर, परिवहन आदि के रूप में शामिल करती है), तो आपकी इन-हैंड सैलरी अधिक हो सकती है।
मुक्ति और कटौतियां: टैक्स बचत योजनाओं का लाभ उठाने से (जैसे 80C के तहत ELSS, PPF या 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा) आपकी इन-हैंड सैलरी बढ़ सकती है।

मिथक 6: इन-हैंड सैलरी मेरी पूरी मुआवजा राशि को नहीं दिखाती
वास्तविकता: आपकी इन-हैंड सैलरी सिर्फ मुआवजा पैकेज का एक हिस्सा है।
जबकि इन-हैंड सैलरी वह राशि है जो तत्काल खर्च के लिए मिलती है, CTC में सभी मुआवजा घटक शामिल होते हैं, जैसे बीमा, ग्रेच्युटी और बोनस, जो बाद में दिए जा सकते हैं और आपको दीर्घकालिक वित्तीय लाभ प्रदान कर सकते हैं।

अपनी इन-हैंड सैलरी की गणना कैसे करें और समझें?

  • अपना CTC तोड़ें: घटकों को जानें—बेसिक सैलरी, भत्ते, कर योग्य लाभ और गैर-कर योग्य लाभ।
  • कटौतियां पहचानें: PF, आयकर और बीमा जैसी कटौतियों का हिसाब करें।
  • टैक्स बचत के अवसरों पर विचार करें: टैक्स बचत योजनाओं में निवेश करें ताकि कर योग्य आय को कम किया जा सके और आपकी इन-हैंड सैलरी बढ़ सके।

CTC और इन-हैंड सैलरी के बीच का अंतर समझना आपके वित्त को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए बहुत जरूरी है। सामान्य मिथकों से बचें—हमेशा स्पष्ट सैलरी ब्रेकडाउन मांगें और उपलब्ध छूट का उपयोग करके अपनी इन-हैंड सैलरी को अधिकतम करें।

Kavita Mishra
Kavita Mishrahttps://hindi.inventiva.co.in/
Kavita is a versatile content writer with a deep passion for news. Based in New Delhi, she has a keen interest in exploring the latest trends in the world of current affairs and delivering engaging content to her audience. Kavita has extensive experience working with Inventiva, where she honed her skills in content creation and developed a strong foundation in delivering high-quality, informative articles.
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