क्या आपने कभी यह देखा है कि 1996 से 2010 के बीच जन्मे लोग कितनी आसानी से स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं या सोशल मीडिया पर सरकते हैं? इस पीढ़ी को ‘जेन-ज़ी’ कहा जाता है, जो तकनीक से जुड़े, हाइपर-कनेक्टेड दुनिया में वयस्कता में प्रवेश कर रही है। यह पीढ़ी न केवल काम करने और उपभोग करने के नियम बदल रही है, बल्कि अपने अनूठे स्वभाव और आदतों से उद्योगों को भी नया आकार दे रही है।
यह पीढ़ी दुनिया की सबसे बड़ी जनसांख्यिकी समूह है, जो वैश्विक जनसंख्या का 30% और भारत की जनसंख्या का 27% हिस्सा है। उनकी कार्यबल में एंट्री और मार्केटिंग ट्रेंड्स पर प्रभाव अधिकांश उद्यमों के लिए चुनौती बन रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में 60 मिलियन से अधिक जेन-ज़ी लोग वैश्विक कार्यबल में शामिल होने वाले हैं, जिससे उनका प्रभाव असाधारण रूप से बढ़ेगा। भारत में, जहां 50% से अधिक जनसंख्या 30 वर्ष से कम आयु की है, यह बदलाव और अधिक स्पष्ट है।
टेक्नोलॉजी-प्रेमी जेन-ज़ी
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, जो 2030 तक $1 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना है, में जेन-ज़ी की तकनीकी कुशलता एक अनमोल संपत्ति है। एक अध्ययन के अनुसार, 78% भारतीय जेन-ज़ी कर्मचारी मानते हैं कि उनकी तकनीकी दक्षता उन्हें कार्यस्थल पर बढ़त दिलाती है। यह आईटी, ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग में विशेष रूप से दिखता है, जहां उभरते टूल्स और प्लेटफॉर्म को अपनाने में इनकी गति पुरानी पीढ़ियों से कहीं अधिक है।
शहरी क्षेत्रों में स्मार्टफोन की पहुंच 84% और ग्रामीण क्षेत्रों में 52% तक पहुंच चुकी है। जेन-ज़ी औसतन रोजाना 8 घंटे ऑनलाइन बिताती है, जिसमें बड़ा हिस्सा सोशल मीडिया और डिजिटल कंटेंट पर जाता है। सोशल मीडिया इनकी प्राथमिक खबर का स्रोत बन गया है, जहां 55% जेन-ज़ी पेशेवर इसे प्राथमिकता देते हैं।
कार्यक्षेत्र और उपभोग में बदलाव
जेन-ज़ी अब पारंपरिक शिक्षा के बजाय कौशल-आधारित लर्निंग प्लेटफॉर्म्स जैसे अपग्रेड, अनएकेडमी और कौरसेरा को प्राथमिकता देती है। 2021-2023 के बीच इन प्लेटफॉर्म्स पर जेन-ज़ी एनरोलमेंट में 60% की वृद्धि दर्ज की गई। डेटा एनालिटिक्स, यूआई/यूएक्स डिज़ाइन, और एआई जैसे क्षेत्रों में प्रमाणपत्र कार्यक्रमों की बढ़ती मांग इसका प्रमाण है।
सोशल मीडिया और जेन-ज़ी का प्रभाव
जेन-ज़ी का सोशल मीडिया उपयोग प्रभावशाली है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इनकी दैनिक सक्रियता 92% है। बैन एंड कंपनी के अनुसार, भारत में सोशल कॉमर्स 55% की सीएजीआर दर से बढ़ते हुए 2030 तक $70 बिलियन तक पहुंच सकता है।
हाइब्रिड वर्क और जेन-ज़ी
महामारी के बाद के युग में, रिमोट वर्क जेन-ज़ी के लिए वरदान साबित हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 80% जेन-ज़ी कर्मचारियों को लचीले कार्य विकल्प पसंद हैं। हालांकि, रिमोट वर्क कंपनी संस्कृति और कर्मचारी जुड़ाव को बनाए रखने में चुनौतीपूर्ण है।
निष्कर्ष
जेन-ज़ी न केवल भविष्य का हिस्सा है, बल्कि यह नए युग के वास्तुकार हैं। शिक्षा, कार्य संस्कृति, और मार्केटिंग रणनीतियों में जेन-ज़ी के प्रभाव ने बदलाव की गति तेज कर दी है। कंपनियों को इस पीढ़ी की प्राथमिकताओं को समझकर अपने प्रयासों को ढालना होगा। चाहे हम इसे पसंद करें या न करें, जेन-ज़ी अब केवल भविष्य नहीं है—यह वर्तमान को नई परिभाषा देने वाली शक्ति है।