पिछले पाँच कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की संपत्ति में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के आंकड़ों के अनुसार, लगभग ₹13 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हफ्ते भारतीय शेयरों का कुल बाजार पूंजीकरण ₹479 लाख करोड़ था, जो इस हफ्ते घटकर ₹466 लाख करोड़ पर आ गया है। केवल पाँच सत्रों में ही ₹13 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है।
दोनों प्रमुख सूचकांक, निफ्टी और सेंसेक्स, लगातार बिकवाली के दबाव में हैं। पिछले पाँच कारोबारी दिनों में दोनों सूचकांकों में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जिससे निवेशकों की भावना कमजोर हो गई है, जबकि हाल ही में बाजार में मजबूती देखी गई थी।
पिछले शुक्रवार को बाजारों ने उच्चतम स्तर को छुआ था, जब सेंसेक्स 85,978.25 अंक और निफ्टी 50 सूचकांक 26,277.35 अंक के 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे।
पिछले हफ्ते की रैली मुख्य रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की घोषणा के कारण थी। इस फैसले ने वैश्विक निवेशकों के लिए भारतीय बाजारों को और आकर्षक बना दिया, जिससे विशेष रूप से इक्विटी में विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ा। परिणामस्वरूप, निफ्टी और सेंसेक्स ने रिकॉर्ड उच्चतम स्तरों को छू लिया, जो निवेशकों के बीच सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
हालांकि, इस सप्ताह की शुरुआत से ही भारतीय शेयर बाजारों पर बिकवाली का दबाव बढ़ गया है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, कई कारक इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं। सबसे प्रमुख कारणों में से एक है बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, खासकर ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष, जिसने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता पैदा की है। इसके कारण निवेशक सतर्क हो गए हैं और कुछ ने अपने निवेश भारत से निकालने का फैसला किया है।
VRIDHI इन्वेस्टमेंट के विवेक कर्वा ने कहा, “लगभग ₹13 लाख करोड़ का नुकसान BSE में 4 दिनों में हुआ, जो कि लगभग 2.71 प्रतिशत की गिरावट है। लेकिन BSE सेंसेक्स 85,474 से गिरकर 82,497 पर आ गया, जो कि 3.48 प्रतिशत की गिरावट है। इसका मतलब है कि बड़ी कंपनियों में ज्यादा बिकवाली हुई है, लेकिन कुल मिलाकर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट नहीं हुई है।”
इसके अलावा, विदेशी निवेशकों ने चीन और हांगकांग की ओर अपना ध्यान मोड़ लिया है, जिससे भारतीय बाजारों पर और दबाव बढ़ा है। साथ ही, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) बाजार में किए गए हालिया बदलावों ने नकारात्मक भावनाओं को और बढ़ावा दिया है।
इन सभी कारकों के चलते, बाजार का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है और निवेशक आने वाले सत्रों में स्थिरता के संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।