सरकारी नीतियों पर अक्सर निशाना साधने वाले उद्योग संगठनों के लिए यह असामान्य है कि वे गरीबों के लिए सब्सिडी बढ़ाने की मांग करें। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने वित्त मंत्रालय को बजट से पहले अपनी सिफारिशों में गरीब परिवारों के लिए ‘उपभोग वाउचर’ जारी करने का सुझाव दिया है ताकि अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा दिया जा सके।
CII ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत मजदूरी को 40% तक बढ़ाने और प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों को नकद हस्तांतरण को 33% तक बढ़ाने का भी सुझाव दिया। इस सुझाव की प्रासंगिकता को देखते हुए, यह दर्शाता है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की हालत वाकई में नाजुक है, भले ही सरकारी आंकड़े इसे छुपाने का प्रयास करें।
आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण मजदूरी में मामूली वृद्धि हुई है—कृषि क्षेत्र में 2.1% और गैर-कृषि क्षेत्र में 1.8%। लेकिन क्या इतना पर्याप्त है? पिछले पांच वर्षों में कृषि मजदूरी मात्र 0.1% प्रति वर्ष बढ़ी है, वहीं गैर-कृषि मजदूरी में 1% की गिरावट दर्ज की गई है।
उद्योग संगठन के अनुसार, मांग की कमी अब केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं है; यह समस्या व्यापक अर्थव्यवस्था तक फैल चुकी है। उपभोक्ता मांग में गिरावट के कारण निजी निवेश भी कमजोर हो रहा है। इस संबंध में, हाल के आंकड़े दर्शाते हैं कि असंगठित क्षेत्र और किसानों की आय में कोई सुधार नहीं दिख रहा है, बल्कि स्थिति और खराब होती जा रही है।
क्या सरकार के दावे सच्चाई से परे हैं? एक ओर सरकारी दावे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से उभर रही है, दूसरी ओर उद्योग संगठनों का यह बयान उनकी तथाकथित ‘अच्छी अर्थव्यवस्था’ के दावों पर सवाल खड़े करता है। आखिर कब तक सरकार आंकड़ों की आड़ में हकीकत छुपाती रहेगी?
CII ने भी इस बात की तरफ इशारा किया है कि ‘उपभोग वाउचर’ और नकद हस्तांतरण जैसे कदम केवल अल्पकालिक समाधान हैं। इनसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की गहरी जड़ों में फैली समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता। पिछले एक दशक में केंद्र और राज्यों ने मुख्य रूप से महिलाओं, किसानों और बेरोजगार युवाओं के लिए नकद हस्तांतरण में वृद्धि की है, लेकिन इससे उपभोक्ता मांग में सुधार नहीं हो सका।
इस समस्या का स्थायी समाधान नीतिगत बदलाव में है। एक नए आर्थिक ढांचे की आवश्यकता है, जिसमें बड़ी-बड़ी अधोसंरचनाओं पर ध्यान देने के बजाय ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने पर जोर हो। MGNREGA की मजदूरी बढ़ाकर पूरी अर्थव्यवस्था में मजदूरी को ऊपर उठाना एक शुरुआत हो सकती है।
अगले वर्ष आने वाला केंद्रीय बजट नए सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा। हालांकि, वित्तीय दबाव के कारण यह आसान नहीं होगा कि सरकार नकद हस्तांतरण बढ़ाए, और यह कदम लंबी अवधि के लिए प्रभावी भी नहीं है।