उद्योग जगत और समाजसेवा के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ने वाले रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। इस महान व्यवसायी और दूरदर्शी नेता ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए। आइए एक नज़र डालते हैं उनके जीवन में मिले प्रमुख पुरस्कारों और सम्मानों पर।
भारत में रतन टाटा को मिले प्रमुख सम्मान
रतन टाटा को 2000 में भारत सरकार द्वारा देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से नवाजा गया।
इसके बाद, उन्हें 2008 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से भी सम्मानित किया गया।
2006 में रतन टाटा को महाराष्ट्र सरकार ने ‘महाराष्ट्र भूषण’ सम्मान से सम्मानित किया।
2021 में असम सरकार ने उन्हें ‘असम बैभव’ सम्मान से नवाजा।
2023 में महाराष्ट्र सरकार ने रतन टाटा को ‘महाराष्ट्र उद्योग रत्न’ सम्मान से अलंकृत किया।
इसके अलावा, टाटा को आईआईटी मद्रास, आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी खड़गपुर से ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की मानद उपाधि भी प्राप्त हुई।
यह तो बस कुछ प्रमुख भारतीय सम्मान हैं जो रतन टाटा को मिले।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
रतन टाटा को 2004 में उरुग्वे सरकार द्वारा ‘मेडल ऑफ द ओरिएंटल रिपब्लिक ऑफ उरुग्वे’ से सम्मानित किया गया।
2009 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर’ (KBE) का ‘ऑनरेरी नाइट कमांडर’ बनाया।
उसी वर्ष, इटली सरकार ने उन्हें ‘ग्रैंड ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट ऑफ द इटैलियन रिपब्लिक’ से नवाजा।
2012 में जापान सरकार ने उन्हें ‘ग्रैंड कॉर्डन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन’ से सम्मानित किया।
2014 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर’ (GBE) का ‘ऑनरेरी नाइट ग्रैंड क्रॉस’ प्रदान किया।
2016 में फ्रांस सरकार ने उन्हें ‘कमान्डर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया।
2023 में किंग चार्ल्स तृतीय ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया के ‘ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ का ‘ऑनरेरी ऑफिसर’ घोषित किया।
इसके अलावा, रतन टाटा को 2010 में ‘बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन’ द्वारा ‘ओस्लो बिजनेस फॉर पीस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
2007 में ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ ने उन्हें ‘कार्नेगी मेडल ऑफ फिलांथ्रॉपी’ से नवाजा।
उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ‘डॉक्टर ऑफ लॉ’ की मानद उपाधि भी मिली।
यह सभी सम्मान इस बात का प्रमाण हैं कि रतन टाटा न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने योगदान के लिए प्रशंसा के पात्र रहे।