भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्टील सिटी सिक्योरिटीज लिमिटेड, विशाखापत्तनम के प्रबंध निदेशक सतीश कुमार आर्या को एक महीने के लिए SEBI से जुड़े किसी भी रोजगार या अन्य किसी कार्य से हटाने की सिफारिश की है। यह सिफारिश इंटरमीडियरी रेगुलेशंस के तहत धारा 26(1)(v) के अंतर्गत की गई है।
विशाखापत्तनम शहर में पत्रकारों से बात करते हुए स्टील सिटी सिक्योरिटीज लिमिटेड, विशाखापत्तनम के पूर्व प्रमोटर और कार्यकारी निदेशक राजगोपाल रेड्डी गुडुरु ने बताया कि उन्होंने सतीश कुमार आर्या के खिलाफ SEBI और अन्य स्टॉक/कमोडिटी/मुद्रा एक्सचेंजों में शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में सतीश पर उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों और व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित धोखाधड़ी करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
राजगोपाल ने बताया कि सतीश कुमार के पास छह फर्जी प्रमाणपत्र थे, जिनमें से कुछ का इस्तेमाल उन्होंने विभिन्न एक्सचेंजों में सदस्यता प्राप्त करने के लिए किया था। विशाखापत्तनम शहर के चौथे टाउन पुलिस स्टेशन में सतीश कुमार के खिलाफ फर्जी और नकली शैक्षिक प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल के मामले में केस दर्ज किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल, 2025 को विशाखापत्तनम के प्रथम एसीएमएम कोर्ट में होगी।
अब सवाल ये उठता है कि इतने लंबे समय तक SEBI जैसी संस्था की नज़रों से ये धोखाधड़ी कैसे बची रही? क्या इतनी बड़ी एजेंसी अपनी निगरानी के नाम पर केवल कागज़ी कार्रवाई ही करती है? या फिर यहां भी ‘कौन किसके साथ है’ का खेल चल रहा है? शायद इसी वजह से लोग सेबी की सख्ती पर सवाल उठाते हैं। जब शीर्ष संस्थाएं ही आंखें मूंदे रहेंगी, तो फिर बाजार में ईमानदारी की उम्मीद कैसे की जा सकती है?