सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद से आग्रह किया है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर अश्लील व अभद्र सामग्री को नियंत्रित करने के लिए कानूनों को कड़ा किया जाए। शून्यकाल के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने भारत और इन प्लेटफॉर्म्स के मूल देशों के बीच की सांस्कृतिक भिन्नताओं को रेखांकित किया। मंत्री ने जोर देकर कहा कि वर्तमान नियमों में भारतीय संवेदनाओं के अनुरूप बदलाव की आवश्यकता है।
आरएसएस प्रमुख की चिंता
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में विजयादशमी के अपने भाषण में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स समाज में नैतिक पतन के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने अनुचित सामग्री पर नियंत्रण के लिए कानूनी हस्तक्षेप की मांग की और उपयोगकर्ताओं से सतर्कता बरतने की अपील की। भागवत के इस बयान ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को लेकर बहस को और तेज कर दिया है।
संपादकीय नियंत्रण और सांस्कृतिक संवेदनशीलता
अश्विनी वैष्णव ने ऑनलाइन अपलोड की जाने वाली सामग्री पर संपादकीय निगरानी की कमी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अश्लील सामग्री को बढ़ावा दिया जा रहा है। भाजपा सांसद अरुण गोविल, जिन्होंने ‘रामायण’ टीवी धारावाहिक में भगवान राम की भूमिका निभाई थी, ने भी इस चिंता का समर्थन किया। उन्होंने एक सरकारी निगरानी निकाय की स्थापना का सुझाव दिया जो ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी कर सके।
विवादों में घिरी नेटफ्लिक्स सीरीज़
हाल ही में 1999 में हुए इंडियन एयरलाइंस हाईजैक पर आधारित एक नेटफ्लिक्स सीरीज़ को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इस सीरीज़ में आतंकवादियों के नामों में बदलाव करने पर भारी विरोध हुआ, जिसके बाद सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। नेटफ्लिक्स ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भारतीय भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा। यह घटना डिजिटल कंटेंट पर सख्त निगरानी की बढ़ती मांग को रेखांकित करती है।
संसदीय सहमति की आवश्यकता
वैष्णव ने सुझाव दिया कि संसदीय स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए और कड़े नियमों के लिए सहमति बनाने का काम करे। मंत्री ने रचनात्मक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक सम्मान के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स भारतीय मूल्यों का पालन कर सकें।
निष्कर्ष
डिजिटल सामग्री को लेकर बढ़ती बहस के बीच सरकार का लक्ष्य है कि अश्लीलता पर लगाम लगाई जाए और सामाजिक मूल्यों की रक्षा की जाए। रचनात्मक स्वतंत्रता बनाए रखते हुए कानूनों को सख्त करना इन चिंताओं को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।