ऊर्जा व्यापार से जुड़े फ्रांसेस्को माज़ागाटी, जो शेल पीएलसी और एक्सॉन मोबिल कॉर्प से ब्रिटेन की गैस संपत्तियां खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, पर एक ईरानी पेट्रोकेमिकल कंपनी से धन को ग़लत तरीके से डायवर्ट करने के आरोप लगे हैं। यह कंपनी बाद में अमेरिका में प्रतिबंधित कर दी गई थी।
माज़ागाटी पर लंदन में दायर मुकदमे में आरोप है कि उन्होंने ईरान की एक प्लास्टिक रेजिन निर्माता कंपनी मेहर पेट्रोकेमिकल कंपनी की अप्रत्यक्ष रूप से स्वामित्व से लाभ उठाया। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने पिछले साल कहा था कि मेहर एक व्यापक “शैडो बैंकिंग नेटवर्क” का केंद्र था, जिसने अन्य कंपनियों को ईरानी शासन की ओर से व्यापार जारी रखने में मदद की।
यह मुकदमा अलायंस पेट्रोकेमिकल इन्वेस्टमेंट नामक सिंगापुर की एक कंपनी द्वारा दायर किया गया था, जो मेहर में नियंत्रक हिस्सेदारी रखती है। इसमें आरोप लगाया गया है कि माज़ागाटी ने ईरानी कंपनी के उत्पादों का वितरण किया और जब कंपनी पर अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले साल प्रतिबंध लगाया, तो उन्होंने अपनी हिस्सेदारी गुप्त रूप से बनाए रखी।
माज़ागाटी ने इन आरोपों से इनकार किया है और इसे उनके पूर्व कारोबारी साझेदार अर्शिया जहानपुर द्वारा “शरारती अभियान” बताया है। उनका दावा है कि जहानपुर वास्तव में API (अलायंस पेट्रोकेमिकल इन्वेस्टमेंट) चलाते हैं।
कंपनी अधिग्रहण पर सवाल
माज़ागाटी की कंपनी वियारो एनर्जी लिमिटेड ब्रिटेन के उत्तरी सागर में शेल और एक्सॉन के साथ 11 अपतटीय सुविधाओं की खरीद के लिए सौदा कर रही है। अगर यह डील मंजूर हो जाती है, तो यह कंपनी को ब्रिटेन के कुल गैस उत्पादन के लगभग 5% पर नियंत्रण देगी।
लेकिन माज़ागाटी के खिलाफ लंबित मुकदमों और विवादों को देखते हुए, यह सौदा संदेह के घेरे में है। क्या ब्रिटेन की नॉर्थ सी ट्रांजिशन अथॉरिटी इस डील को हरी झंडी दिखाएगी, या इन आरोपों को लेकर अपनी ‘लाइसेंसधारी की योग्यता’ पर पुनर्विचार करेगी?
143 मिलियन डॉलर का दावा
API ने माज़ागाटी पर 143 मिलियन डॉलर (₹11,88 करोड़) के गबन का मुकदमा ठोका है। आरोप है कि माज़ागाटी ने मेहर के उत्पादों की बिक्री से अर्जित धन को UAE में बनाई गई अपनी एक अलग कंपनी में स्थानांतरित किया। यहां तक कि उन्होंने 2021 में एक बैठक के दौरान नकली बैंक दस्तावेज़ प्रस्तुत किए, जिसमें गलत खाता बैलेंस दिखाया गया था।
मिलान में आपराधिक मामला भी लंबित
माज़ागाटी के खिलाफ मिलान में एक आपराधिक मामला भी चल रहा है, जिसमें उन पर कथित भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप हैं। हालांकि, ईरान से तेल की आपूर्ति से जुड़े कुछ आरोपों को पहले ही खारिज किया जा चुका है।
सरकार और नियामक क्या कर रहे हैं?
अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (OFAC) ने स्पष्ट किया कि मेहर के साथ लेन-देन करने वाले विदेशी वित्तीय संस्थानों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। OFAC के अनुसार, मेहर और उससे जुड़े नेटवर्क ने ईरानी सरकार के लिए अरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न किया।
लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे विवादास्पद व्यक्तियों को ब्रिटेन की ऊर्जा सुरक्षा के “रीढ़ की हड्डी” कहा जाने वाला कोई समझौता सौंपा जाना चाहिए? नियामक और सरकार के लिए यह गंभीर आत्ममंथन का समय है।