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Monday, December 2, 2024
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एयरपोर्ट्स विवाद: राजस्व मॉडल को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को नोटिस जारी किए। ये कंपनियां क्रमशः जीएमआर एयरपोर्ट्स लिमिटेड और अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड की सहायक कंपनियां हैं। मामला राजस्व-साझेदारी मॉडल को लेकर है।

AAI ने 2022 के एक मध्यस्थता फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उसके खिलाफ निर्णय दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी तक टाल दी है। कोर्ट को एयरपोर्ट्स ने आश्वासन दिया है कि अगले आदेश तक वे मध्यस्थता निर्णय को लागू नहीं करेंगे।

विवाद की जड़:

यह विवाद 2006 के ऑपरेशन, मैनेजमेंट और डेवलपमेंट एग्रीमेंट के तहत एयरपोर्ट्स और AAI के बीच राजस्व-साझेदारी मॉडल को लेकर उपजे भ्रम पर आधारित है।

इससे पहले, अक्टूबर में हाईकोर्ट के एक सिंगल जज ने AAI की चुनौती को खारिज कर दिया था। उस फैसले से असंतुष्ट होकर AAI ने खंडपीठ का रुख किया।

पृष्ठभूमि:

2006 में सरकार ने एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए निजी कंपनियों को प्रमुख एयरपोर्ट्स के संचालन और विकास के लिए आमंत्रित किया था। इसके तहत AAI ने निजी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम बनाए, जिनमें दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (जीएमआर ग्रुप के नेतृत्व में) और मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (पहले जीवीके ग्रुप के तहत और बाद में अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स द्वारा अधिग्रहित) शामिल थे।

सहमति के अनुसार, इन संयुक्त उद्यमों को अपने बिज़नेस प्लान में वर्णित “अनुमानित राजस्व” के आधार पर AAI को वार्षिक शुल्क का भुगतान करना था। इस समझौते के तहत राज्य समर्थन समझौता और अन्य नौ अनुबंध भी हुए थे।

विवाद का कारण:

विवाद की मुख्य वजह ‘राजस्व’ शब्द की परिभाषा थी, जिस पर वार्षिक शुल्क की गणना आधारित थी। समझौते में “राजस्व” को कर से पहले के सकल राजस्व के रूप में परिभाषित किया गया था, जिसमें कुछ विशिष्ट छूटें थीं। हालांकि, संयुक्त उद्यमों ने दावा किया कि उन्होंने गलती से अपने सकल प्राप्तियों के आधार पर शुल्क का भुगतान किया, जबकि भुगतान “अनुमानित राजस्व” के आधार पर होना चाहिए था।

दिल्ली एयरपोर्ट ने दावा किया कि उसने ₹6,663.25 करोड़ अधिक भुगतान कर दिए, क्योंकि उसने अपने सकल प्राप्तियों पर शुल्क का भुगतान किया था। यह गलती सितंबर 2018 में महसूस की गई।

मध्यस्थता आदेश:

मामला मध्यस्थता में गया, जहां तीन पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पीठ ने बहुमत से निर्णय संयुक्त उद्यमों के पक्ष में दिया। ट्रिब्यूनल ने माना कि शुल्क का भुगतान बिज़नेस प्लान में वर्णित अनुमानित राजस्व के आधार पर होना चाहिए था और दोनों एयरपोर्ट्स द्वारा अधिक भुगतान को स्वीकार किया।

हालांकि, एक सदस्य ने अल्पमत राय में मुंबई एयरपोर्ट के दावे को सही माना, लेकिन बहुमत के फैसले से असहमति जताई।

यह मामला अब हाईकोर्ट में चुनौती के रूप में लंबित है।

Kavita Mishra
Kavita Mishrahttps://hindi.inventiva.co.in/
Kavita is a versatile content writer with a deep passion for news. Based in New Delhi, she has a keen interest in exploring the latest trends in the world of current affairs and delivering engaging content to her audience. Kavita has extensive experience working with Inventiva, where she honed her skills in content creation and developed a strong foundation in delivering high-quality, informative articles.
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